Navratri Vrat Katha
नवरात्रि व्रत कथा

Navratri is the festival that adores Goddess Durga and Her various forms. All Her Avatars are the epitomes of strength. All these nine goddesses (NavDurga) have killed the most dangerous demons of all times. During this period, Durga, Lakshmi and Saraswati are worshipped as three different manifestations of Shakti, or cosmic energy.

The two festive Navratris - Vasant Navratri and the Sharad Navratri- are indelible parts of the Indian culture. The word Navratri literally translates to 'nine nights' in Sanskrit, named after the holy period. Sharad Navratri is followed by the festival of Dussehra or Vijayadashmi and the festival of lights Diwali or Deepawali.

The first day of Navratri 2021 is called Pratipada and is dedicated to Shailaputri or daughter of the mountain. The holy colour of the day is yellow.

Goddess Brahmacharini is worshipped on the second day of Navratri. The colour of the day is green.

Chaturthi or the fourth day of Sharad Navratri celebrates Goddess Kushmunda, who represents generous endowment of vegetation on Earth. The holy colour of the day is grey.

Goddess Skandmata is worshipped on day 5 or Panchami. The holy colour of the day is orange.

Sixth day is the day of Goddess Katyayani- the warrior Goddess with four hands. The holy colour of the day is white.

Saptami or seventh day of Navratri is the day of Goddess Kalaratri- the most ferocious form of Goddess Durga. The colour of the day is red.

Ashtami is a special day in the nine-day period, when nine pre-pubescent girls are invited to Hindu households and fed a special prasad. The Goddess Mahagauri reigns supreme on this day and the holy colour of the day is Royal blue.

The ninth day Navami of Sharad Navratri celebrates the Goddess Siddhidaatri, commonly known as Saraswati. The name Siddhidaatri literally means the giver of siddhi or enlightenment. The colour of the day is pink.

Tenth day also known as Dussehra or Vijay Dashami, the colour of this special day is Purple.


Navratri Vrat Katha - नवरात्रि व्रत कथा



नवरात्रि व्रत कथा के अनुसार एक समय बृहस्पति जी ने ब्रह्माजी के समक्ष चैत्र व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले नवरात्र का महत्व जानने की इच्छा जताई, इन्होंने कहा इस व्रत का क्या फल है, इसे किस प्रकार किया जाता है? सबसे पहले इस व्रत को किसने किया? ये सब विस्तार से कहिये। बृहस्पतिजी के प्रश्नों का जवाब देते हुए ब्रह्माजी ने कहा- हे बृहस्पते! प्राणियों के हित की इच्छा से तुमने बहुत अच्छा प्रश्न किया है। जो इंसान मनोरथ पूर्ण करने वाली मां दुर्गा, महादेव, सूर्य और नारायण का ध्यान करता है, वे धन्य है। यह नवरात्र व्रत संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला है।

इस व्रत को करने से पुत्र सुख, धन, विद्या और सुख मिलता है। इस व्रत को करने से रोग दूर हो जाता है। घर में समृद्धि की वृद्धि होती है, बन्ध्या को पुत्र प्राप्त होता है। समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है। जो मनुष्य इस नवरात्र व्रत को नहीं करता वह अनेक दुखों को भोगता है। यदि व्रत करने वाला मनुष्य सारे दिन का उपवास न कर सके तो एक समय भोजन करे और दस दिन बान्धवों सहित नवरात्र व्रत की कथा का श्रवण करे। हे बृहस्पते! जिसने पहले इस महाव्रत को किया है वह कथा मैं तुम्हें सुनाता हूं।

ब्रह्माजी बोले- प्राचीन काल में मनोहर नगर में पीठत नाम का एक अनाथ ब्राह्मण रहता था, वह मां दुर्गा का भक्त था। उसे संपूर्ण सद्गुणों से युक्त सुमति नाम की एक अत्यन्त सुन्दर कन्या उत्पन्न हुई। वह कन्या अपने पिता के घर में अपनी सहेलियों के साथ क्रीड़ा करती हुई इस प्रकार बढ़ने लगी जैसे शुक्ल पक्ष में चंद्रमा की कला बढ़ती है। उसका पिता प्रतिदिन जब दुर्गा की पूजा करके होम किया करता, वह उस समय नियम से वहां उपस्थित रहती। एक दिन सुमति भगवती के पूजन में उपस्थित नहीं हुई। उसके पिता को पुत्री की ऐसी असावधानी देखकर क्रोध आया और वह पुत्री से कहने लगा अरी दुष्ट पुत्री! आज तूने भगवती का पूजन नहीं किया, इस कारण मैं किसी कुष्ट रोगी या दरिद्र मनुष्य के साथ तेरा विवाह करूंगा।

पिता की बात सुनकर सुमति को बड़ा दुख हुआ और पिता से कहने लगी- हे पिता! मैं आपकी कन्या हूं तथा सब तरह आपके आधीन हूं जैसी आपकी इच्छा हो वैसा ही करो। चाहे राजा से, चाहे कुष्टी से, चाहे दरिद्र से जिसके साथ चाहो मेरा विवाह करना चाहो कर दो पर होगा वही जो मेरे भाग्य में लिखा है, क्योंकि कर्म करना मनुष्य के आधीन है पर फल देना ईश्वर के आधीन है।

कन्या के निर्भयता से कहे हुए वचन सुन उस ब्राह्मण ने क्रोधित हो अपनी कन्या का विवाह एक कुष्टी के साथ कर दिया और अत्यन्त क्रोधित हो पुत्री से कहने लगा-हे पुत्री! अपने कर्म का फल भोगो, देखें भाग्य के भरोसे रहकर क्या करती हो? पिता के ऐसे कटु वचनों को सुन सुमति मन में विचार करने लगी- अहो! मेरा बड़ा दुर्भाग्य है जिससे मुझे ऐसा पति मिला। इस तरह अपने दुख का विचार करती हुई वह कन्या अपने पति के साथ वन में चली गई और डरावने कुशायुक्त उस निर्जन वन में उन्होंने वह रात बड़े कष्ट से व्यतीत की।

उस गरीब बालिका की ऐसी दशा देख देवी भगवती ने पूर्व पुण्य के प्रभाव से प्रगट हो सुमति से कहा- हे दीन ब्राह्मणी! मैं तुझसे प्रसन्न हूं, तुम जो चाहो सो वरदान मांग सकती हो। भगवती दुर्गा का यह वचन सुन ब्राह्मणी ने कहा- आप कौन हैं वह सब मुझसे कहो? ब्राह्मणी का ऐसा वचन सुन देवी ने कहा कि मैं आदि शक्ति भगवती हूं और मैं ही ब्रह्मविद्या व सरस्वती हूं। प्रसन्न होने पर मैं प्राणियों का दुख दूर कर उनको सुख प्रदान करती हूं। हे ब्राह्मणी! मैं तुझ पर तेरे पूर्व जन्म के पुण्य के प्रभाव से प्रसन्न हूं।

तुम्हारे पूर्व जन्म का वृतांत सुनाती हूं सुनो! तू पूर्व जन्म में निषाद की स्त्री थी और अति पतिव्रता थी। एक दिन तेरे पति निषाद ने चोरी की। चोरी करने के कारण तुम दोनों को सिपाहियों ने पकड़ लिया और जेल खाने में कैद कर दिया। उन लोगों ने तुझको और तेरे पति को भोजन भी नहीं दिया। इस प्रकार नवरात्र के दिनों में तुमने न तो कुछ खाया और न जल ही पिया इस प्रकार नौ दिन तक नवरात्र का व्रत हो गया। हे ब्राह्मणी! उन दिनों में जो व्रत हुआ, इस व्रत के प्रभाव से प्रसन्न होकर मैं तुझे मनोवांछित वर देती हूं, तुम्हारी जो इच्छा हो सो मांगो।

इस प्रकार दुर्गा के वचन सुन ब्राह्मणी बोली अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो हे दुर्गे। मैं आपको प्रणाम करती हूं कृपा करके मेरे पति का कोढ़ दूर करो। देवी ने कहा- उन दिनों तुमने जो व्रत किया था उस व्रत का एक दिन का पुण्य पति का कोढ़ दूर करने के लिए अर्पित करो, उस पुण्य के प्रभाव से तेरा पति ठीक हो जाएगा।

इस प्रकार देवी के वचन सुन वह ब्राह्मणी प्रसन्न हुई और पति को निरोग करने की इच्छा से जब उसने तथास्तु (ठीक है) ऐसा वचन कहा, तब उसके पति का शरीर भगवती दुर्गा की कृपा से कुष्ट रोग से रहित हो गया। वह ब्राह्मणी पति को देख देवी की स्तुति करने लगी- हे दुर्गे! आप दुर्गति को दूर करने वाली, तीनों लोकों का सन्ताप हरने वाली, समस्त दु:खों को दूर करने वाली, रोगी मनुष्य को निरोग करने वाली, प्रसन्न हो मनोवांछित वर देने वाली और दुष्टों का नाश करने वाली जगत की माता हो। हे अम्बे! मुझ निरपराध अबला को मेरे पिता ने कुष्टी मनुष्य के साथ विवाह कर घर से निकाल दिया। पिता से तिरस्कृत निर्जन वन में विचर रही हूं, आपने मेरा इस विपदा से उद्धार किया है, हे देवी। आपको प्रणाम करती हूं। मेरी रक्षा करो।

उस ब्राह्मणी की ऐसी स्तुति सुन देवी बहुत प्रसन्न हुई और ब्राह्मणी से कहा- हे ब्राह्मणी! तेरे उदालय नामक अति बुद्धिमान, धनवान, कीर्तिवान पुत्र शीघ्र उत्पन्न होगा। ऐसा वर देकर देवी ने ब्राह्मणी से फिर कहा कि और जो कुछ तेरी इच्छा है वह मांग ले। सुमति ने कहा कि हे भगवती दुर्गे! अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपा मुझे नवरात्र व्रत की विधि का विस्तार से वर्णन करें।

ब्राह्मणी के वचन सुन मां दुर्गा ने कहा- हे ब्राह्मणी! मैं तुम्हें संपूर्ण पापों को दूर करने वाले नवरात्र व्रत की विधि बतलाती हूं- चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नौ दिन तक व्रत करें यदि दिन भर का व्रत न कर सकें तो एक समय भोजन करें। शुभ मुहूर्त में घट स्थापन करें और वाटिका बनाकर उसको प्रतिदिन जल से सीचें। महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की मूर्तियां स्थापित कर उनकी विधि सहित पूजा करें। बिजौरा के फल से अर्घ्य देने से रूप की प्राप्ति होती है। जायफल से अर्घ्य देने पर कीर्ति, दाख से कार्य की सिद्धि होती है, आंवले से सुख की प्राप्ति और केले से अर्घ्य देने से आभूषणों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार पुष्पों व फलों से अर्घ्य देकर व्रत समाप्त होने पर नवें दिन विधि विधान हवन करें। खांड, घी, गेहूं, शहद, जौ, तिल, बिल्व (बेल), नारियल, दाख और कदम्ब जैसी विभिन्न सामग्रियों से हवन करें।

आंवले से कीर्ति की और केले से पुत्र की, कमल से राज सम्मान की और दाखों से संपदा की प्राप्ति होती है। खांड, घी, नारियल, शहद, जौ और तिल तथा फलों से होम करने से मनोवांछित वस्तु की प्राप्ति होती है। व्रत करने वाला मनुष्य इस विधि विधान से होम कर आचार्य को अत्यन्त नम्रता के साथ प्रणाम करे और यज्ञ की सिद्धि के लिए उसे दक्षिणा दे। इस प्रकार बताई हुई विधि के अनुसार जो व्यक्ति व्रत करता है उसके सब मनोरथ सिद्ध होते हैं, इसमें तनिक भी संदेह नहीं है। इन नौ दिनों में जो कुछ दान आदि दिया जाता है उसका करोड़ों गुना फल मिलता है। इस नवरात्र व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। हे ब्राह्मणी! इस संपूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाले उत्तम व्रत को तीर्थ, मंदिर अथवा घर में विधि के अनुसार करें।

ब्रह्मा जी बोले बृहस्पते जी से बोले इस प्रकार ब्राह्मणी को नवरात्रि व्रत विधि बताकर देवी अर्न्तध्यान हो गई। अत: जो मनुष्य या स्त्री इस व्रत को भक्तिपूवर्क करता है वह इस लोक में सुख प्राप्त कर अन्त में मोक्ष की प्राप्ति करता है। ब्रह्मा जी बृहस्पति जी से कहते हैं कि यह इस दुर्लभ व्रत का महात्म्य है जो मैंने तुम्हें बताया है। ऐसा सुन बृहस्पति जी आनन्द से प्रफुल्लित हो गये और कहने लगे कि हे ब्रह्मन! आपने मुझ पर अति कृपा की जो मुझे इस व्रत का महत्व सुनाया। ब्रह्मा जी बोले कि हे बृहस्पते! यह देवी भगवती संपूर्ण लोकों का पालन करने वाली है, इस महादेवी के प्रभाव को कौन जान सकता है? बोलो देवी भगवती की जय।

अंबे जी की आरती


अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली,
तेरे ही गुण गावें भारती, ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती।

तेरे भक्त जनो पर माता भीर पड़ी है भारी।
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी॥

सौ-सौ सिहों से बलशाली, है अष्ट भुजाओं वाली,
दुष्टों को तू ही ललकारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

माँ-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता।
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता॥

सब पे करूणा दर्शाने वाली, अमृत बरसाने वाली,
दुखियों के दुखड़े निवारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

नहीं मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना।
हम तो मांगें तेरे चरणों में छोटा सा कोना॥

सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली,
सतियों के सत को संवारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

चरण शरण में खड़े तुम्हारी, ले पूजा की थाली।
वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली॥

माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओं वाली,
भक्तों के कारज तू ही सारती। ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती॥

Durga Ma Puja Book

Durga Ma Stuti

Raas or Dandiya Raas is the folk dance originating from Indian state of Gujarat and popularly performed in the festival of Navaratri. The sticks are utilized as props and are flawlessly adorned. It is thus the dance is equally called the 'Stick Dance'.

It is a belief in India that Dandiya represents a mock fight between Durga and Mahishasura where sticks of Dandiya represent the sword of Goddess Durga.

Garba and Dandiya are used to educate people about the festival and mythological importance behind it.

Dandia Stick Dance

Featured Articles

करवा चौथ का त्योहार – Festival of Karva Chauth 2023
Posted on Tuesday July 02, 2019

The festival of Karwa Chauth is celebrated by married Hindu women. This year, the festival will be celebrated on Wednesday, November 1st, 2023. Women keep the fast during the day for the long life of their husband. Evening prayers are performed, followed by sighting and worshipping the moon, and fast opening by nice dinner and…

Ahoi Ashtami – अहोई अष्टमी – Katha Aarti Festival 2023
Posted on Tuesday July 02, 2019

Ahoi Ashtami – Sunday, November 5, 2023 This festival is specifically meant for mothers who have sons. Mother’s keep fast on this day and this is celebrated in the month of October – November (Karthik Mas). Pure water is offered to stars during the evening time by the mothers and they pray for the long…

Diwali Poojan Mantra – दीवाली पूजन मंत्र 2023
Posted on Monday July 01, 2019

Diwali puja mantra of goddess Lakshmi, Ganesha and Saraswati. Chant following mantra and make your Diwali divine and special. This day marks the birthday of Lakshmi – the Goddess of Wealth and Prosperity, and the birthday of Dhanvantari – the Goddess of Health and Healing.Lakshmi is believed to roam the earth on Diwali night. दीपक…

Deepavali (दीपावली) – Festival of Lights – 2023
Posted on Monday July 01, 2019

ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः।। Sunday, November 12, 2023 दीवापली के मौके पर महालक्ष्मी और गणेश की पूजा का विशेष महत्व है | पूजन के बाद लक्ष्मी जी की आरती करना न भूलें। गणपति पूजनहाथ में पुष्प लेकर गणपति का ध्यान करें।मंत्र पढ़ें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्। अब एक फूल…

Saraswati (सरस्वती) – The Goddess of knowledge
Posted on Monday July 01, 2019

Saraswati – The Hindu goddess of knowledge, music, arts and science. She is also called Vak Devi, the goddess of speech and Mother of Vedas. She is a part of the trinity of Saraswati, Lakshmi and Parvati. बसंत पंचमी पर महासरस्वती देवी का जन्मदिन मनाया जाता है । मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि,…

You might also like: